दुनिया की मसरूफियत में तो अब वो चेहरा याद नहीं,
लिखता भी हूं उसी पर और कहता हूं कि वो याद नहीं।
– हिमांशु सिंह
जो दिल से निकला उस यहां उतार दिया बस।
दुनिया की मसरूफियत में तो अब वो चेहरा याद नहीं,
लिखता भी हूं उसी पर और कहता हूं कि वो याद नहीं।
– हिमांशु सिंह
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