बनारस

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थकान के बाद की नींद को आरामदायक बिस्तर की जरूरत नहीं होती। जहा एक तरफ लोग नए साल के स्वागत के लिए सड़कों पर घूम कर जश्न मना रहे थे वहीं मुझे कुछ लोग सड़क के किनारे ऐसे सोते मिले। 10 डिग्री से भी कम की सर्दी में लोगों को सोता देखकर मन व्यथित हो उठा।हमारी सरकारें कितना भी दावा करले पर जो गरीब है वो गरीब ही रह जाता है ये बात और है कि अमीर और अमीर होते जाते है।
बात 31 दिसंबर 2017 की है। हाथ में कैमरा था तो तस्वीर भी ले ली। वैसे मै भी गया था बनारस के घाट की मनमोहक तस्वीरें कैद करने पर मेरे द्वारा ली गई सारी तस्वीरों पर ये तस्वीर भारी पड़ गई।
मुनव्वर राना जी ने सही कहा था कि
सो जाते है फुटपाथ पर अखबार बिछा कर,
मजदूर कभी नींद की गोलियां नहीं खाते।

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